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अयोध्या के ‘बाटी वाले बाबा’: सरयू घाट पर अनोखी परंपरा, भक्तों को खिलाया जाता है 4 मेल की बाटी-चोखा” अयोध्या: राम नगरी अयोध्या अपने हजारों मंदिरों और धार्मिक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन सरयू नदी के राजघाट पर स्थित बजरंगबली मंदिर की परंपरा कुछ अलग और अनोखी है। यहां हर दिन और विशेष रूप से मंगलवार को श्रद्धालुओं को “बाटी वाले बाबा” के हाथों 4 मेल की बाटी-चोखा का महाप्रसाद परोसा जाता है, जिसे खाने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु जुटते हैं। इस मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा सिया बिहारी को अब सब ‘बाटी वाले बाबा’ के नाम से जानते हैं। वर्ष 2000 में उन्होंने सरयू के बालू घाट पर मचान बनाकर पहली बार महाभोग लगाने की परंपरा शुरू की थी। वहीं उनका निवास भी था। श्रद्धालुओं और स्थानीय भक्तों के दान से जो अनाज मिलता, उसी से बाटी और चोखा बनाकर भोग चढ़ाया जाता और फिर भक्तों में बांटा जाता। बाबा आज भी उसी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। हर दिन वे चार मेल की विशेष बाटी का भोग चढ़ाते हैं—सादी बाटी, सत्तू बाटी, फ्राई बाटी और सरयू जल में उबाली गई बाटी। इसके साथ परोसा जाता है—आलू का चोखा, पुदीना-धनिया की चटनी और खुद से तैयार किया गया खट्टा आंवले का अचार। यह प्रसाद भक्तों के लिए न सिर्फ भक्ति का प्रतीक होता है, बल्कि स्वाद का भी दिव्य अनुभव होता है। बाबा सिया बिहारी का कहना है, “भक्ति और सेवा में फर्क नहीं होना चाहिए। सरयू मैया की कृपा से बाटी और चोखा के इस भोग को प्रसाद बना दिया गया है।” इस मंदिर की यह परंपरा अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण बन चुकी है। लोग न केवल बजरंगबल हैं।

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